Thyroid Control Yoga: आजकल, थायराइड की समस्या लोगों में आम हो गई है। असल में, थायराइड हमारी गर्दन में स्थित एक तितली के आकार की ग्रंथि है, जो थायरोक्सिन हार्मोन बनाने के लिए जिम्मेदार होती है। जब थायराइड ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में इस हार्मोन का उत्पादन नहीं कर पाती है, तो थायराइड रोग हो जाता है। इस बीमारी में मोटापा, शरीर में दर्द, कमजोरी, थकान, बांझपन, रूखी त्वचा और बाल झड़ने जैसी समस्याएं होने लगती हैं। अगर आप भी थायराइड की समस्या से परेशान हैं, तो नियमित रूप से कुछ योगासन का अभ्यास करके इससे छुटकारा पा सकते हैं। आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे योगासनों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो थायराइड की समस्या को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।
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Thyroid Control Yoga: सर्वनासाना
Thyroid Control Yoga: सर्वनासाना, जिसे “सर्वांगासन” के नाम से भी जाना जाता है, योग का एक महत्वपूर्ण आसन है जो थायराइड ग्रंथि के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यह आसन थायराइड ग्रंथि को उत्तेजित करने और रक्त संचार को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे थायराइड के लक्षणों को कम करने में सहायता मिलती है।
सर्वनासाना के लाभ:
- थायराइड ग्रंथि को उत्तेजित करता है और हार्मोन उत्पादन को संतुलित करता है।
- रक्त संचार को बढ़ाता है, जिससे थायराइड ग्रंथि को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति बढ़ जाती है।
- तनाव और चिंता को कम करता है, जो थायराइड की समस्याओं को बढ़ा सकते हैं।
- पाचन तंत्र को मजबूत करता है और कब्ज को दूर करता है।
- थकान और कमजोरी को दूर करता है।
- मन को शांत करता है और एकाग्रता में सुधार करता है।
सर्वनासाना करने की विधि:
- पीठ के बल लेट जाएं और पैरों को सीधा रखें।
- हाथों को शरीर के बगल में रखें, हथेलियां नीचे की ओर।
- घुटनों को मोड़ें और पैरों को कूल्हों के पास लाएं।
- सांस लेते हुए कूल्हों को ऊपर उठाएं और शरीर को एक सीधी रेखा में लाएं।
- पैरों को सीधा ऊपर की ओर उठाएं, एड़ी को कूल्हों के पास लाएं।
- हाथों को कूल्हों के नीचे रखें, हथेलियां जमीन की ओर।
- श्वास को रोककर कुछ देर इस मुद्रा में रहें।
- सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे शरीर को नीचे लाएं।
भुजंगासन
Thyroid Control Yoga: भुजंगासन, जिसे “कोबरा पोज” के नाम से भी जाना जाता है, योग का एक महत्वपूर्ण आसन है जो थायराइड ग्रंथि के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यह आसन छाती को खोलता है और थायराइड ग्रंथि पर दबाव को कम करता है, जिससे थायराइड के लक्षणों को कम करने में सहायता मिलती है।
भुजंगासन के लाभ:
- छाती को खोलता है और थायराइड ग्रंथि पर दबाव को कम करता है।
- रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है।
- पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
- पाचन तंत्र को मजबूत करता है।
- तनाव और चिंता को कम करता है।
- थकान और कमजोरी को दूर करता है।
- मन को शांत करता है और एकाग्रता में सुधार करता है।
भुजंगासन करने की विधि:
- पेट के बल लेट जाएं और पैरों को सीधा रखें।
- हाथों को कंधों के नीचे रखें, हथेलियां जमीन की ओर।
- सांस लेते हुए धीरे-धीरे ऊपरी शरीर को ऊपर उठाएं।
- कोहनियों को सीधा रखें और सिर को पीछे की ओर झुकाएं।
- श्वास को रोककर कुछ देर इस मुद्रा में रहें।
- सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे शरीर को नीचे ला
उष्ट्रासन
Thyroid Control Yoga: उष्ट्रासन, जिसे “उंट पोज” के नाम से भी जाना जाता है, योग का एक महत्वपूर्ण आसन है जो थायराइड ग्रंथि के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यह आसन थायराइड ग्रंथि के आसपास के क्षेत्र को खींचता है और रक्त संचार को बढ़ाता है, जिससे थायराइड के लक्षणों को कम करने में सहायता मिलती है।
उष्ट्रासन के लाभ:
- थायराइड ग्रंथि के आसपास के क्षेत्र को खींचता है और रक्त संचार को बढ़ाता है।
- रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है।
- पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
- पाचन तंत्र को मजबूत करता है।
- तनाव और चिंता को कम करता है।
- थकान और कमजोरी को दूर करता है।
- मन को शांत करता है और एकाग्रता में सुधार करता है।
उष्ट्रासन करने की विधि:
- घुटनों के बल बैठ जाएं और पैरों को पीछे की ओर फैलाएं।
- हाथों को घुटनों पर रखें, हथेलियां नीचे की ओर।
- सांस लेते हुए धीरे-धीरे कूल्हों को पीछे की ओर धकेलें और छाती को ऊपर उठाएं।
- गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं और सिर को ऊपर उठाएं।
- श्वास को रोककर कुछ देर इस मुद्रा में रहें।
- सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे शरीर को नीचे लाएं।
विपरीता करणी मुद्रा
Thyroid Control Yoga: विपरीता करणी मुद्रा, जिसे “पैर की दीवार मुद्रा” के नाम से भी जाना जाता है, योग का एक महत्वपूर्ण आसन है जो थायराइड ग्रंथि के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यह आसन तनाव को कम करता है और थायराइड हार्मोन के उत्पादन को संतुलित करने में मदद करता है, जिससे थायराइड के लक्षणों को कम करने में सहायता मिलती है।
विपरीता करणी मुद्रा के लाभ:
- तनाव को कम करता है और थायराइड हार्मोन के उत्पादन को संतुलित करने में मदद करता है।
- मन को शांत करता है और एकाग्रता में सुधार करता है।
- थकान और कमजोरी को दूर करता है।
- अनिद्रा से राहत देता है।
- पाचन तंत्र को मजबूत करता है।
- रक्त संचार को बढ़ाता है।
- पीठ दर्द से राहत देता है।
विपरीता करणी मुद्रा करने की विधि:
- दीवार के पास एक चादर या कंबल बिछाकर लेट जाएं।
- पैरों को दीवार पर टिकाकर सीधा ऊपर उठाएं।
- हाथों को शरीर के बगल में रखें, हथेलियां नीचे की ओर।
- श्वास को धीमा और गहरा करें।
- कुछ देर इस मुद्रा में रहें।
- सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे पैरों को नीचे लाएं।
कपालभाति प्राणायाम
Thyroid Control Yoga: कपालभाति प्राणायाम, जिसे “बैल की सांस” के नाम से भी जाना जाता है, योग का एक महत्वपूर्ण प्राणायाम है जो थायराइड ग्रंथि के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यह प्राणायाम शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है और थायराइड ग्रंथि के कार्य को बेहतर बनाता है, जिससे थायराइड के लक्षणों को कम करने में सहायता मिलती है।
कपालभाति प्राणायाम के लाभ:
- शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
- थायराइड ग्रंथि के कार्य को बेहतर बनाता है।
- पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है।
- रक्त संचार को बढ़ाता है।
- तनाव और चिंता को कम करता है।
- थकान और कमजोरी को दूर करता है।
- एकाग्रता में सुधार करता है।
कपालभाति प्राणायाम करने की विधि:
- सुखासन या पद्मासन में बैठ जाएं।
- रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें।
- आंखों को बंद करें और नाक से धीमी और गहरी सांस लें।
- सांस छोड़ते हुए पेट को अंदर की ओर खींचें।
- सांस लेते हुए पेट को बाहर की ओर धकेलें।
- इस प्रक्रिया को तेजी से दोहराएं।
- कुछ देर इस प्राणायाम का अभ्यास करें।
भस्त्रिका प्राणायाम
Thyroid Control Yoga: भस्त्रिका प्राणायाम, जिसे “धौंकनी प्राणायाम” के नाम से भी जाना जाता है, योग का एक महत्वपूर्ण प्राणायाम है जो थायराइड ग्रंथि के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यह प्राणायाम रक्त संचार को बढ़ाता है और थायराइड ग्रंथि को उत्तेजित करता है, जिससे थायराइड के लक्षणों को कम करने में सहायता मिलती है।
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भस्त्रिका प्राणायाम के लाभ:
- रक्त संचार को बढ़ाता है।
- थायराइड ग्रंथि को उत्तेजित करता है।
- पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है।
- तंत्रिका तंत्र को मजबूत बनाता है।
- तनाव और चिंता को कम करता है।
- थकान और कमजोरी को दूर करता है।
- एकाग्रता में सुधार करता है।
भस्त्रिका प्राणायाम करने की विधि:
- सुखासन या पद्मासन में बैठ जाएं।
- रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें।
- आंखों को बंद करें और नाक से धीमी और गहरी सांस लें।
- सांस छोड़ते हुए पेट को अंदर की ओर खींचें और द्रुत गति से सांस बाहर निकालें।
- सांस लेते हुए पेट को बाहर की ओर धकेलें और द्रुत गति से सांस अंदर लें।
- इस प्रक्रिया को तेजी से दोहराएं।
- कुछ देर इस प्राणायाम का अभ्यास करें।